घटक द्वव्य |
मंजीठ, नागरमोथा, कूड़े की छाल, गिलोय, कूठ, सौंठ, भारंगी, कटेली, बच, नीम की अन्तर छाल, हल्दी, दारूहलदी, हरड़, बहेड़ा, आंवला, पटोलपत्र, कुटकी, मूर्वा, वायविडंग, विजयसार, चित्रकमूल, शतावर, त्रायमाण, पीपल, अडूसे के पत्ते, भांगरा, देवदारू, पाठा, खैर छाल, लाल चन्दन, निशोथ, बरने की छाल, चिरायता, बावची, अमलतास का गूदा, सहोड़ें की छाल, बकायन, करंज की छाल, अतीस, नेत्रबाला, इन्द्रायण की जड़, अनन्तमूल, पित्तपापड़ा। |
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उपयोग |
कुष्ठ रोग, वातरक्त, उपदंश, श्लीपद, अंग शून्यता, पक्षाघात, मेद रोग, नेत्र रोग, रक्त शुद्धि, पित्तशामक, वातहर। |
मात्रा |
5 से 10 ग्राम का क्वाथ। |
अनुपान |
पीपल का चूर्ण व गूगल मिलाकर । |