घटक द्वव्य |
शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, लौह भस्म, अभ्रक भस्म, ताम्र भस्म, मनःशिला, हरिद्रा, शुद्ध जयपाल, शुद्ध टंकण, शुद्ध शिलाजीत। |
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भावना द्वव्य |
दंतीमूल क्वाथ, निशोथ, चित्रक छाल, निर्गुण्डी, शुण्ठी,मरिच, पीपली, अदरक, भूंगराज। |
उपयोग |
यकृत प्लीहावृद्धि, उदर रोग, आनाह, ज्वर, पाण्डु,कामला, शोथ, मन्दाग्रि, अरूचि, आदि में लाभदायक है। |
मात्रा | 125 मि.ग्रा. से 250 मि.ग्रा. दिन में 2 बार । |
अनुपान |
शीतल जल या त्रिकटु और शहद से |