घटक द्वव्य |
दशमूल, चित्रकमूल, पुष्करमूल, लोध्र, गिलोय, आंवला, धमासा, खैर छाल, विजयसार की छाल, कूठ, मंजीठ, देवदारू, वायविडंग, मुलहठी, भारंगी, कबीठ, बहेड़ा, सांठा की जड़, जटामांसी, गऊंला, अनन्तमूल, स्याह जीरा, निशोथ, रेणुक बीज, रास्त्रा, पीपल, सुपारी, कचूर, हल्दी, सूवा, पद्म काष्ठ, नागकेशर, नागरमोथा, इन्द्रजौ, काकड़ासिंगी, शहद, मुनक्का, गुड़, धाय के फूल, शीतल मिर्च, नेत्रबाला, सफेद चंदन, जायफल, लौंग, दालचीनी, इलायची, तेजपत्र, निर्मली के बीज | |
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सहायक द्रव्य |
जल। |
उपयोग |
संग्रहणी, अरूचि, श्वास, कास, गुल्म, भगन्दर, वातरोग, क्षय, वमन, पाण्डु, -कामला, अर्श, प्रमेह, मन्दाग्नि, उदररोग, अश्मरी, मूत्रकृच्छ, धातुक्षय, दुर्बलता को पुष्ट करता है। गर्भाशय की शुद्धि करता है| तेज, वीर्य व बल को बढ़ाता है। |
मात्रा व अनुपान |
15 मि.ली. से 20 मि.ली. दिन में 2 बार भोजन के बाद जल से। |