घटक द्वव्य |
धाय के फूल, आंवला, तेजपत्ता, जलबेंत, मुलहठी, कमल के फूल, आम की गुठली, जामुन की गुठली, कासीस, लोध्र, कायफल, तेन्दु की छाल, कच्ची फिटकरी, अनार की छाल, गूलर की छाल और कच्चे बेल फल। |
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भावना द्रव्य |
तिल तैल, बकरी का मूत्र, बकरी का दुग्ध। |
उपयोग |
तैल का फोहा योनि में रखने, उत्तर बस्ति (पिचकारी) देने से विप्लुता, परिप्लुता आदि वातज योनि रोग, योनि के भीतर का शोथ, योनि का बाहर उभर आना, योनिशूल, घाव होना, पीप बहना, योनिकन्द आदि रोग दूर होते हैं । |
मात्रा |
बाह्य प्रयोजनार्थ। |