घटक द्वव्य |
पाठा, लज्जालु, सोनागेरू, इन्द्र जौ, जामुन की गुठली,कमलकेशर, कायफल, काली अनन्तमूल, आम कीगुठली, केसर, कालीमिर्च, धाय के फूल, पाषाणभेद,अतीस कड़वा, सौंठ, मुलहठी, रसौंत, बेलगिरी, मुनक्का,अर्जुन छाल, अम्बष्ठकी (पाठा), नागरमोथा, लालचन्दन,मोचरस, लोध्र, सोनापाठा छाल (ष्योनाक), कुटज छाल | |
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उपयोग |
रक्तप्रदर, रक्तातिसार, आमातिसार, अर्ष, अन्य स्थान में रक्तस्राव, योनिविकार, रजोदोष, श्वेतप्रदर, गर्भाशय में शूल तथा जीर्ण सूतिका विकार में उपयोगी । |
मात्रा | 2 से 3 ग्राम दिन में 2 बार। |
अनुपान | शहद में मिलाकर चाटकर चावल का धोवन पीवें। |