घटक द्वव्य |
शुद्ध संगेयहूद |
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सहायक द्वव्य |
धमासे की लुग्दी, मूलीपत्र स्वरस |
उपयोग |
अश्मरी, शर्करा, मूत्रावरोध, मूत्राशय की पथरी को तोड़करहरताल गांदली ( ग्रिश्चण ) धर्म मेमूत्र मार्ग से बाहर निकाल देती है। 3 माह तक इसकासेवन करने पर बड़ी पथरी भी टुकड़े होकर मूत्र मार्ग सेबाहर निकल जाती है।। |
मात्रा | 250 मि.ग्रा. से 500 मि.ग्रा. दिन में 2 बार। |
अनुपान | शक्कर या शरबत के साथ |