घटक द्वव्य |
शुद्ध धान्याभ्रक |
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भावना द्वव्य |
प्रयुक्त भावना द्रव्यों की 16-16 भावना तथा निश्चन्द्रीकरण हेतु कल्मीशोरा व गुड़। |
उपयोग |
निर्बलता, श्वास, कास, हृदयरोग, धातु क्षीणता, राजयक्ष्मा,पित्त प्रभाव रोग, जीर्ण यकृत शोथ, पाण्डु, कामला,संग्रहणी, उन््माद, अपस्मार, प्रमेह, कुष्ठ आदि रोगों में लाभप्रद है। |
मात्रा | 125 मि.ग्रा. से 250 मि.ग्रा. दिन में 2 बार । |
अनुपान | शहद |