अभ्रक भस्म (1000 पुटी) |
वबातनाड़ी रोग, कफ क्षय, श्रासकास, अपस्मार, हिस्टीरिया, उन्माद, प्रमेह,कामला, पाण्डु, धातुक्षीणता, सगर्भा की दुर्बलता के लिये पौष्टिक रसायन है। |
अमरसुन्दरी (प्र.वि) |
यह जुकाम, मन्दज्वर, अपस्मार, हिस्टीरिया, उन्माद, भ्रम, चक्कर आना,कफ्वृद्धि आदि रोगों के उपचार हेतु उपयोगी है। |
अस्थिसंधानक लेप |
आकस्मिक दुर्घटना के कारण हड्डी टूटना या उतर जाना व दर्द होने पर इस लेप का प्रयोग आश्चर्यजनक राहत प्रदान करता है। |
अश्वगंधादि चूर्ण |
उत्तम रसायन व वाजीकरण गुणयुक्त है एवं रस, मांस, मज्जा व शुक्रधातुवर्धक, हृदय व मस्तिष्क पौष्टिक, कफ व वातरोंग नाशक है। यह शुक्रक्षय, वीर्यदोष,प्रमेह, दौर्बल्यता, स्मृति मन्दता, दृष्टिमांध, शिरःशूल, वातशामक व नाड़ी संस्थान के रोगों में उपयोगी है। |
आरोग्यवर्द्धिनी वटी( प्रवि.) |
यह डदर रोग का शोधन करने वाली श्रेष्ठ औषधि है एवं जीर्ण रोगों यथा यकृत, रक्त, कुष्ठ, शोथ, जीर्णज्वर, कब्ज, पाण्डु दोष, कामला आदि विभिन्न रोगों पर प्रभावकारी है। |
उदरशूलहर वटी |
उदरशूल, अग्निमांच, मलावरोध, सिरदर्द आदि रोगों पर लाभप्रद है। |
कल्याण बालामृत |
शिशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये एवं सर्दी, खाँसी, जुकाम, अपचन, दूध फेंकना, दांत आने की तकलीफ, हड्डियों की कमजोरी, दुबलापन, आदि रोगों में लाभदायक है। |
कांचनार गुग्गुलु |
यह कण्ठमाला, अपच, कर्कटस्फोट, ग्रन्थी, गुल्म, अन्त्रवृद्धि और भगन्दर में प्रयुक्त होता है। |
कैंसर गज केसरी | कैंसर की प्रथम अथवा द्धितीय अवस्था में लाभदायक है। |
किंशुकादि तैल |
मुखपर उत्पन्न फुन्सियों एवं काले दाग साफ कर चेहरे की कान्ति को बढाता है। |
खमीरे गांवजवां (केसरयुक्त) |
हृदय व मस्तिष्क की निर्बलता, उन््माद और मूर्छा में उपयोगी है। |
खरमीरें गांवजवां ( अम्बरी ) |
हृदय, मस्तिष्क व पाचन संस्थान की निर्बलता में उपयोगी है। |
गन्धक रसायन (64 भावना) |
पामा, कण्डू, ब्यूची (विचर्चिका) , दाह, रक्तविकार, कुष्ठ, प्रमेह, उपदंश आदि के लिये उत्तम रसायन है। |
गोदन्ती भस्म |
पित्तज्वर,सूखी खॉसी, रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, रक्तस्त्राव में गुणकारी। |
चन्दनादि तैल |
यह नस्य लेने और शिर पर मालिश करने से बाल मजबूत व काले करने के लिये उपयोगी है। |
च्यवनप्राशावलेह ( अष्टवर्ग) |
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च्यवनप्राश सुवर्णयुक्त |
यह रसायन वृद्धावस्था की निर्बलता, शुक्रक्षय, राजयक्ष्मा, श्वास-कास एवं हृदय उपयोगी है। निर्बलता, वात, कफ प्रकोप को दूर कर श्वास, कास का निवारण, पाचन शक्ति वर्धक है। अंग-प्रत्यंग को सुद्धूढ़ कर अपूर्व शक्ति प्रदान करती है। |
चन्द्रोदय वटी |
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चित्रकादि वटी |
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चित्रकादि वटी |
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जीवन रसायन अर्क |
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ताप्यादि लोह |
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दंतदोषहर मंजन |
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द्राक्षावलेह |
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नारायण तैल |
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पंचसकार चूर्ण |
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प्रवाल पिष्टी |
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पारदादि मलहम |
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पूर्णचन्द्रोदय रस |
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बिलà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿ तैल | करà¥à¤£à¤¶à¥‚ल, करà¥à¤£à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤µ, बधिरता आदि मैं उपयोगी है। |
वृहद वातचिनà¥à¤¤à¤¾à¤®à¤£à¤¿ रास | यह पितà¥à¤¤à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤ वातरोग, कफाशà¥à¤°à¤¿à¤¤ वातरोग, नवà¥à¤¯ वातरोग तथा जीरà¥à¤£ वातरोग को नषà¥à¤Ÿ करता है। अपतंतà¥à¤°à¤• (हिसà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾) ,छाती और कमर का दरà¥à¤¦, कमà¥à¤ªà¤µà¤¾à¤¤, आकशकà¥à¤·à¥‡à¤ª, पà¥à¤°à¤²à¤¾à¤ªà¤• सनà¥à¤¨à¤¿à¤ªà¤¾à¤¤, हृदय में घबराहट, नाड़ी कà¥à¤·à¥€à¤£à¤¤à¤¾, बेहोशी , सूतिका रोग से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ वातरोग, वृदà¥à¤§ और निरà¥à¤¬à¤²à¥‹à¤‚ को शकà¥à¤¤à¤¿ देने वाला है। |
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¥€ वटी | मà¥à¤¦à¤¦à¤¤à¥€à¤œà¥à¤µà¤°, अनिदà¥à¤°à¤¾, पà¥à¤°à¤²à¤¾à¤ª, मोतीà¤à¤°à¤¾ को बेचैनी, मगज की कमजोरी,धातà¥à¤•à¥à¤·à¥€à¤£à¤¤à¤¾, सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ का संरकà¥à¤·à¤£ कर हृदय की निरà¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ में उपयोगी है। |
बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤°à¤°à¤¾à¤¸à¤¯à¤¨ | हृदय मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• ,फà¥à¤«à¥à¤«à¥à¤¸ ,आमाशय ,यकृत ,पà¥à¤²à¥€à¤¹à¤¾ ,बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¬à¤² आदि की शकà¥à¤¤à¤¿ को बà¥à¤¾à¤•र शरीर को सà¥à¤¦à¥ƒà¥ बनाता है | |
à¤à¥ƒà¤‚गराज तैल | केश à¤à¥‚मि कठोर होना, खà¥à¤œà¤²à¥€ चलना, बाल à¤à¤¡à¤¼à¤¨à¤¾ तथा बालों का असमय शà¥à¤°à¥‡à¤¤ होना आदि में लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। |
मधà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤• वटी | जà¥à¤µà¤°, टाईफाइड (मोतीà¤à¤°à¤¾) जीरà¥à¤£ विषमजà¥à¤µà¤° निवारक तथा मधà¥à¤°à¤¾ को सà¤à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। |
मलà¥à¤²à¤¸à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¥‚र | हृदयोतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤•, शà¥à¤µà¤¾à¤¸, कास, सनà¥à¤¨à¤¿à¤ªà¤¾à¤¤, उनà¥à¤®à¤¾à¤¦, अपतंतà¥à¤°à¤•, हिसà¥à¤Ÿà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤¾, आमवात,डबà¥à¤¬à¤¾à¤°à¥‹à¤—, विसूचिका, वातरोग, पà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¹ आदि रोगों में लाà¤à¤ªà¥à¤°à¤¦ है। |
महाविषगरà¥à¤ तैल | वेदना नाशक à¤à¤µà¤‚ इसकी मालिश से वातरोग, सनà¥à¤§à¤¿à¤µà¤¾à¤¤, कटिवात, अरà¥à¤§à¤¾à¤—वात,गृशà¥à¤°à¤¸à¥€, दणà¥à¤¡à¤¾à¤ªà¤¤à¤¾à¤¨à¤• आदि वात रागों में विशेष लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है। |
मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾ पिषà¥à¤Ÿà¥€ | हृदय की निरà¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾, मूतà¥à¤° जलन, योनि दाह, घबराहट , उनà¥à¤®à¤¾à¤¦ रोगों पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤•ारी है। |
रजोदोषहर वटी | मासिक धरà¥à¤® में à¤à¤¯à¤‚कर शूल चलना, रज:सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤µ कम होना, काला-पीला à¤à¤¾à¤—सह बदबूदार रज:सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤µ का नाशक है। |
रससिंदूर | धातà¥à¤•à¥à¤·à¥€à¤£à¤¤à¤¾ ,कà¥à¤·à¤¯ ,शà¥à¤µà¤¾à¤¸ ,कफवृदà¥à¤§à¤¿ ,शीरदरà¥à¤¦,हà¥à¤°à¤¦à¤¯ निरà¥à¤¬à¤²à¤¤à¤¾ है |
रस पिपरी | यह बालको के जà¥à¤µà¤° ,शà¥à¤²à¥‡à¤·à¥à¤®à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¥à¤¯ ,कास-शà¥à¤µà¤¾à¤¸ , डबà¥à¤¬à¤¾ रोग ,अतिसार ,हरे पिले दसà¥à¤¤ , वाट पà¥à¤°à¤•ोप ,हिकà¥à¤•ा।,कà¥à¤·à¥à¤§à¤¾à¤µà¤°à¥à¤§à¤• बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ हेतॠउतà¥à¤¤à¤® औषधि है | |
वीरà¥à¤¯à¤¶à¥‹à¤§à¤¨ चूरà¥à¤£ | वीरà¥à¤¯à¥‡ का पतलापन ,सà¥à¤µà¤ªà¤¨à¤¦à¥‹à¤· ,शà¥à¤•à¥à¤°à¤®à¥‡à¤¹ आदि में लाà¤à¤¦à¤¾à¤¯à¤• है | |
शतावरी घृत | यह शीतवीरà¥à¤¯ ,वाजीकरण और उतà¥à¤¤à¤® पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• है | |